मुबारक हो जनता को जनता का राज

           मुबारक हो जनता को जनता का राज

 

भारत में लोकसभा के सत्र के साठ महीने के कार्यकाल का उन्सठ महीना समाप्त हो चुका है। नये सत्र की तैयारी जोरों पर है। चुनाव घोषित हो चुका है। जैसे बरसात के मौसम में मेंढक बाहर आ जाते हैं, आज ठीक उसी प्रकार चुनाव के मौसम में सभी नेता बाहर दिखाई दे रहे हैं। जिनका चेहरा भी कभी नहीं दिखा वो भी पोस्टरों पर दिवारों से चिपके दिख रहे हैं।

ज़़रा सोचिए …

ज़रा गौर से सोचिए। यदि आपको हमारी बात अच्छी लगे तो उसपर अमल कीजिए। निश्चित लाभ होगा।

सांसदों का कार्यकाल 60 महीनों का होता है। इसमें से 59 महीना तो होता है नेताओं का। इस दौरान आप किसी नेता से मिल नहीं पाते हैं, अपने दर्द सुना नहीं पाते हैं, आप अपनी तकलीफों से उन्हें रूबरू नहीं करा पाते हैं। पता है क्यूँ? क्यूँकि ये समय होता है नेता का। तब उसे जनता की तकलीफ तो दूर उसे जनता ही नहीं दिखती।

अब बचा एक महीना।

ये ही है जनता का राज योग।

जनता का राज-योग एक बार फिर आ गया

इस एक महीने का खुलकर उपयोग करें। बड़े-बड़े नेता आपके सामने हाथ जोड़े आपसे वोट की भीख माँगते, वोट के लिए गिड़गिड़ाते दिखाई देंगे। बस, इसी को कहते हैं जनता का राज योग। इस समय इनसे कुछ भी करवा सकते हैं आप। यकीन नहीं आता ? हाथ कंगन को आरसी क्या ? खुद आज़माकर देख लीजिए। यदि आपके इलाके में सड़क खराब है तो आप सड़क बनवा सकते हैं, यदि आप बीमार हैं तो आप अपना इलाज करा सकते हैं, यदि आपके बच्चे को स्कूल में दाखिला न मिल रहा हो तो आप उसे दाखिला दिलवा सकते हैं और आप वो सबकुछ करवा सकते हैं जो आप उन 59 महीनों में न करवा सके। इस लिए जनता की सेवा करने का वादा करने वालों से इस वक्त सारी सेवा कराएं, जो माँगना है माँग लें। अभी सब कुछ मिल जायेगा। पर ध्यान रहे, ठीक एक महीने के बाद जनता का फिर से नरक योग लग जाएगा। कोई नेता नहीं दिखेगा। समस्याएं फिर से 59 महीने के लिए सर पर सवार हो जाएंगी।

इसलिए, अभी वक्त है। मौके का फायदा उठाईए।

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