खुल गया पोल – देखिये नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली सरकार का  गैरज़िम्मेदाराना रवैया

खुल गया पोल –

देखिये नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली सरकार

का  गैरज़िम्मेदाराना रवैया

 

 

दिल्ली के समयपुर बादली स्थित संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर जहां की सड़कें खुद ब खुद अपनी दास्तां बयां करती दिखाई दे रही हैं। एक बहुत बड़े क्षेत्रफल के दायरे में फैला और बसा संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर विष्वस्तरीय एषिया का सबसे बड़ा ट्रांस्पोर्ट काॅम्प्लेक्स माना जाता है। यहां सड़कों का जो हाल है वो बयाने काबिल नहीं है। सड़कों पर मौजूद गहरे गड्ढे किसी गाड़ी को आसानी से मंज़िल तक पहुँचने की इज़्ााज़त नहीं देते। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे इतने गहरे गड्ढों में घुसकर गाड़ियों का इस ट्रांस्पोर्ट नगर से सही सलामत वापस लौट आना जैसे मुष्किल ही नहीं नामुमकिन है। ट्रांस्पोर्ट नगर की सड़कों पर बड़ी बड़ी ट्रकें व अन्य गाड़ियां झूमती लहराती हिचकोले खाती ऐसे चलती हैं कि देखने वाले का कलेजा दहल जाता है कि मानो अब पलटी तब पलटी।

संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर दिल्ली के बादली विधान सभा क्षेत्र का एक अति महत्वपूर्ण इलाका है जो पूरे देष के षहरों, गाँवों और मंण्डियों को दिल्ली के साथ एक सुदृढ़ ट्रांस्पोर्ट व्यवस्था द्वारा बखूबी जोड़ने का काम करता है। दूरदराज के षहरों व गांवों से फल, सब्ज़ी, से लेकर दूध, पेट्रोल व अन्य सभी बस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने का काम किया जाता है इस संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर से। सही मायने में देखा जाए तो भारत की सभी मंडियो को एक दूसरे से जोड़कर रखने में संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर की अहम भूमिका है। जहां ये ट्रांस्पोर्ट सिस्टम सही समय पर सुरक्षित आपके सामान को पहुँचाकर पूरे देष को एक साथ जोड़ने का काम करती है वहीं इन सामान वाहक गाड़ियों का अपने नीजि स्थल पर सही समय पर न पहँच पाना सरकार के लिए अपने आप में एक बड़ा प्रष्न चिन्ह बना हुआ है। यहां चिराग तले अंधेरा वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है।

यहां इकट्ठे बरसात के पानी के इतने बड़े बड़े जलभराव को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मुद्दत से जैसे नगर निगम के कर्मचारी भी कभी साफ सफाई के लिए यहां नहीं आए। ऐसे में नगर निगम और दिल्ली सरकार के दिल्ली को मच्छर मुक्त करने के वायदे भी खोखले साबित होते हैं। जहां दिल्ली की सरकार अपने आप को आम आदमी की सरकार बताते थकती नहीं वहीं संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर में इतने बड़े बड़े जल भरावों में हज़ारों करोड़ मच्छरों को रोज पनपते देख ऐसा लगता है कि ये सारे वायदे जनता की आँखों में धूल झोंकने से अलग और कुछ भी नहीं है।

हैरानी की बात तो ये है कि जहां रिहायषी घरों में हरियाली के लिए लगे पौधों में पानी डालने पर नगर निगम के अफसर वहां स्वयं पहुँचकर अपने मैजिस्टीरियल पावर का इस्तेमाल करते हुए 5 से 10 हज़ार का चालान करते हैं उन्हें मच्छर उत्पादक इतना बीहड़ जन्म स्थल दिखाई ही नहीं देता है। ऐसा लगता है जैसे स्वयं नगर निगम ने मच्छर उत्पादन की फैक्टरी लगा रखी है जहां से मच्छर पैदा होकर पूरी दिल्ली में आतंक मचाते हैं। सही मायने में देखा जाए तो डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां मच्छरों की नहीं बल्कि नगर निगम की देन है।

बड़ा सवाल ये है कि इतने बड़े मच्छर फैक्टरी को स्थापित होने का अवसर आखिर दिया किसने। क्या नगर निगम के लोग इससे अनभिग्य हैं। अनभिग्य हैं तो अनभिग्य होने का कारण क्या है? क्या नगर निगम के अधिकारी इस इलाके का दौरा ही नहीं करते? नहीं तो आखिर क्यों। क्या ये क्षेत्र दिल्ली सरकार के दायरे के बाहर है। सवाल ये भी है कि क्या संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर बादली विधान सभा में नहीं आता। क्या यहां की जनता बादली के विधायक को वोट नहीं डालती। क्या यह क्षेत्र यहां के सांसद के अधीन नहीं आता है। और यदि आता है तो क्या इस क्षेत्र के पूर्व अथवा वर्तमान सांसद ने कभी यहां के लोगों का दर्द देखा या सुना। सवाल ये भी है कि यदि जनता के नुमाइन्दों ने जनता को सहूलियत पहुँचाने के लिए कुछ नहीं किया तो जनता ने किस कारण उन्हें चुना।

हैरानी की बात तो ये है कि दिल्ली जल बोर्ड भी यहां बने सीवर सिस्टम से अनजान दिखाई देती है। सारे सीवर जैसे बरसों से ब्लाॅक पड़े हैं। लगता है जैसे मुद्दत से इस इलाके में दिल्ली जल बोर्ड के किसी अधिकारी या कर्मचारी ने भूले भटके भी कदम ना रखा हो। ऊफान मारता सीवर और उससे निकलती बदबू को झेल पाना कोई आसान काम नहीं है। आस पास से गुजरना भी एक खतरनाक जोखिम भरे प्राॅजेक्ट से कम नहीं। ऐसे में सीवर का पानी पेय जल में मिश्रित होकर उसे न केवल मलीन करता है अपितु खतरनाक बीमारियों को आसानी से पनपने के लिए अनुकूल हालात देते हुए आग में घी का काम करती है।

यहां कार्यरत परिवहन व्यापारियों का मानना है कि चुंकि संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर एक ऐसा इलाका है जो सिर्फ कारोबारी और व्यापारी वर्ग से ताल्लूक रखता है और जिनका बादली विधान सभा में वोट नहीं होता, लिहाज़ा किसी भी विधायक के लिए ये इलाका उपजाऊ नहीं होता। न तो यहां से कोई वोट दे सकता है न कोई नेता इसकी उम्मीद करता है। इस कारण न तो क्षेत्रीय विधायक की नज़र इस इलाके पर पड़ती है और न ही सांसद महोदय की। इलाके के लोगों का मानना है कि ये इलाका नेताओं के लिए एक निर्जीव और बंजर भूमि की तरह है जहां से हर कोई कतराकर निकलता है। इस इलाके से किसी को कोई सरोकार ही नहीं बेषक यहां कोई बड़े से बड़ा हादसा ही क्यों न हो जाए।

बहराल, कुल मिलाकर संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर की हालत पिछले दो दषकों से दयनीय बनी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यहां पर व्यापारियों को रोजगार के लिए नहीं बल्कि प्रताड़ित और दण्डित करने को छोड़ दिया गया है।

हमारे चैनल द्वारा जमीनी स्तर पर जायज़ा लेने के प्ष्चात सीवर सिस्टम, उसके प्रबन्धन और सीवरों की दर्दनाक और भयावह स्थिति से उबरने के लिए सरकार का बयान लेने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के चीफ एक्ज़ेक्यूटिव आफिसर के मेल आई डी बमवकमसीपण्करइ/दपबण्पद
पर 22 फरवरी 2019 से लगातार अनगिनत मेल भेजे गए परन्तु दिल्ली जल बोर्ड के सी ई ओ पर कोई असर ही नहीं हुआ।

हैरानी की बात है कि भेजे गए सभी मेलों के उŸार में सी ई ओ के प्राइवेट सेक्रटरी ने मेल प्राप्ति तो स्वीकारा परन्तु सीवर की ऐसी दषा से हो रही परेषानियों का कारण, उससे निटने के लिए सरकार की नीति और समाधान बताने के लिए मिलने का समय नहीं दिया।

पिछले दिनों सीवर ब्लाॅकेज की समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सीवर जेटिंग मषीने मंगवाई। इनमें कुछ मषीनें तंग गलियों में भी घुसकर ब्लाॅक सीवर को आसानी से खोलने में सक्षम हैं। उनका दावा था कि इन मषीनों के आने के बाद दिल्ली के तंग गलियों में भी सीवर ब्लाकेज की परेषानी नहीं रहेगी। परन्तु नतीजा वही ढाक के तीन पात।

दरअसल मुख्य मंत्री ने मषीनें मंगवा तो दीं और उसके दम पर दावा भी कर डाला पर काम तो दिल्ली जल बोर्ड के अफसरों और कर्मचारियों ने करना होता है। जब दिल्ली जल बोर्ड के चीफ एक्ज़ेक्युटिव आफिसर और चीफ इन्जीनियर मिलना तो दूर, मेल पर भी उप्लब्ध नहीं होते और मेल का निश्क्रिय जवाब उनके प्राइवेट सेक्रेटरी देते हैं तो कार्यों का संपादन और निश्पादन जैसे हो रहा उसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। चैनेल द्वारा चार महीनों से लगातार भेजे जा रहे मेल के उŸार में सिर्फ इतना बताया गया कि ”आपका मेल मिला, इसे संबन्धित अधिकारी को भेजा जा रहा“।

दिल्ली जल बोर्ड के चीफ एक्ज़ेक्युटिव आफिसर और चीफ इन्जीनियर से जवाब और मिलने का समय न मिलने पर दिल्ली के आम लोगों के नुमाइन्दे मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल को 3 अप्रैल 2019 से लगातार भेजे गए अनेकों मेल के उŸार में मुख्य मंत्री के ओ एस डी राजीव गुप्ता ने केवल और केवल मेल प्राप्ती को स्वीकारा और कार्यवाही के लिए दिल्ली जल बोर्ड के चीफ एक्ज़ेक्युटिव आफिसर को प्रेशित कर दिया।

मेल से तंग आकर इमेल को ओ एस डी राजीव गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड के कन्सलटेन्ट अंकित श्रीवास्तव को भेज दिया जिनका कहना था कि वे इसपर किसी प्रकार की कोई टिपणी करने के लिए असक्षम हैं।

गौरतलब है कि जिस राज्य में जल व मल प्रबन्धन एजेन्सी और मुख्य मंत्री का ऐसा टालमटोल करने वाला रवैया होगा वहां सीवरों का कैसा तो होगा प्रबन्धन और कैसी सुविधा की आस लगाएगी जनता। ऐसा लगता है कि सरकारी अफसरों की तो जैसे कोई जवाबदेही ही नहीं है। किसी समय में जनता का भरोसा जीतने वाले मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल भी यदि ऐसा बर्ताव दिखाएं और जनता की कोई सुनवाई ही न हो तो जनता आखिर क्या करे।

वहां मौजूद लोगों का कहना है कि क्षेत्रीय विधायक ने इस क्षेत्र का कभी भी दौरा नहीं किया। न ही कभी उनकी परेषानी को सुना।

नेट पर उप्लब्ध आम आदमी पार्टी के बादली से क्षेत्रीय विधायक अजेष यादव का फोन 8588833405 और 9990919797 पर हमने संपर्क करने की कोषिष की पर उनके दोनों ही फोन लगातार स्विच आॅफ पाए गए।

संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर में एक सड़क बिल्कुल ठीक ठाक बनी पाई गई। वहां मौजूद लोगों के अनुसार इस सड़क पर वी आई पी लोगों के आॅफिस हैं इस लिए नगर निगम इनके सामने की सड़कों को नई भी बनवाती है और समय समय पर मरम्मत भी करवाती रहती है। कुछ लोगों का कहना था कि सड़क असोसिएषन वालों ने खुद के पैसों से बनवाई। वैसे देखा जाए तो सरकारी सड़क को बनाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। और यदि असोसिएषन को बनाना था तो चुनकर आखिर क्यों।

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https://youtu.be/dBTzSVSFBnY

Watch the Ground Reality of the Sanjay Gandhi Transport Nagar falling under the Samaypur Badli Assembly constituency of Delhi. The Occupants, Residents, Businessmen, Transport owners of this area allege that neither the Local AAP MLA Mr. Ajesh Yadav of the Badli Assembly constituency nor the Member Lok Sabha – previous or present, give a patient hearing to their grave problem. According to them, all of them are good at giving Lucrative & pleasant commitments but never ever stick to it. They invited the Hon’ble Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal on the Vishwakarma day and shown him the pathetic condition of the roads and sewer in the area, but according to the Transport owners the Chief Minister said that the Municipal Corporations of Delhi were not under Delhi Govt and asked them to approach the Municipal Authorities to get relieved from the pain.

Hon’ble Chief Minister of Delhi expressing such inability to provide relief to the occupants seems to be a matter of great surprise. The Delhi Jal Board is well within the reach of Delhi Govt. Why isn’t the sewer system being set right? Is Sanjay Gandhi Transport Nagar not covered under the Loud campaigns of “Mosquitoe-Free Delhi” launched by the Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal?

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Reported by: DN Srivastava, Editor-in-Chief, The DN News, Delhi

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