RETURN OF ODD EVEN FORMULAE

ईवन पर अॉड व्यंग … images-1

अॉड ईवन फार्मुला एक बार फिर से लागू कर दिया गया है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी फर्मान के मुताबिक दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां आगामी 30 अप्रैल 2016 तक ऑड इवन फार्मुला के तहत चलने को बाध्य होंगी।

ताज़ा खबरों के अनुसार, अॉड ईवन फार्मुला के कारण मेट्रो पर वजन बहुत अधिक बढ़ गया है। डर है वजन ज्यादा बढ़ जाने से उसकी बोगियाँ कहीं पिचक न जाये

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कल ही की तो बात है, बस में चढ़ते समय बेचारी बस ने लाचार अवस्था में कराहते हुए कहा, “अब बस करो भाईयों, कहाँ तक चढ़ोगे ??? देख तो रहे हो तुम्हारी इतनी वजन के कारण मेरा धुंआं निकल गया है। धुंआं भी इतना कि तौलो तो रोकी गई गाड़ियों से कहीं ज्यादा … मैं पूछती हूँ आखिर फायदा क्या हुआ … रोक लगाने से मेरा भी कचूमड़ बन गया, बेचारी मेट्रो का दम भी निकल गया …. अौर आम जनता से आराम, चैन सुकून सब छिन गया।”

रोक से किसको क्या मिला:

अफसरों की गाड़ियों पर रोक से अफसरों पर क्या फर्क पड़ा … सरकारी गाड़ी से चल लेंगे … वैसे भी कौन सा अफसर अपनी गाड़ी चलाता है … अफसर तो होता ही है सरकारी सुविधाअों को इस्तेमाल करने के लिए … तो इस व्यवस्था से सरकारी अफसरों को लेष मात्र भी परेशानी नहीं …

रहा नेता – तो नेता भी सरकारी गाड़ी इस्तेमाल कर लेता है…

व्यावसाय करने वालों को भी छूट मिल गई।

सी एन जी पर छूट:

सी एन जी अधिकांश आम जनता इस्तेमाल करती है … रोक तो इसपर भी लगती … पर छूट देना सरकार की इच्छा नहीं मजबूरी थी … आखिर सरकार ने सी एन जी गाड़ियों को प्रदूषण मुक्त वाहन का तमगा दिया है ना … तो रोक किस मुँह से लगाते ???

अब दिल्ली मे पंजिकृत कुल गाड़ियों मे से छूट दी गई गाड़ियों को यदि हम घटाएं तो हमें पता चलता है कि रोक तो सिर्फ अौर सिर्फ आम आदमी की गाड़ियों पर ही लगा … अौर ऐसा इस लिए किया क्योंकि हमारे प्यारे अरविन्द केजरीवाल साहब शायद अपने आपको आम आदमी का नेता बताकर आम आदमी से वोट लिया … अरे भई, आप समझते नहीं हैं यार, वैसे भी जो भी कटौती हो सकती है वो आम आदमी के खाते से ही तो हो सकती है … किसकी ज़ुर्रत किसकी मज़ाल जो आम आदमी के बजाय किसी अन्य के खाते से ज़रा भी कुछ ले ले …

अौर ऐसा महज़ इस लिए कि आम आदमी को बर्दाश्त करने की क्षमता ज़रूरत से कहीं अधिक है … और शायद हमें मूर्ख भी बन्ने में मज़ा आता है… इसी कारण कोई हमें लुभावने सपने दिखा दे तो हम कट्टरता से उसके होकर अपनी जान भी देने का वादा कर बैठते हैं … पता नहीं ऐसी जनता को जज़्बाती कहें, नादान कहें, मूर्ख कहें या फिर कोई और संग्या दें …

गाड़ी हमने खरीदी, पैसा हमारा खर्च हुआ, छीन सरकार ने लिया …

अगर दम था तो मेरे गाड़ी खरीदते वख्त बेचने वाले पर रोक लगाते … कितना कमाल का प्रशासन है, डीज़ल अौर पेट्रोल गाड़ियों को बेचने पर कोई पाबन्दी नहीं है … हाँ, पर यदि आपने खरीद लिया तो …… तो पता नहीं है क्या ??? इस्तेमाल पर पाबन्दी है ??? अब इस्तेमाल किया है अौर आम आदमी होतेे हुए इस्तेमाल किया, तो दो हज़ार रुपये का जुर्माना भुगतो … पता नहीं है क्या … दिल्ली में आम आदमी की सरकार है … यहाँ आम आदमी के लिए सब वर्जित है !!! ???

CNG / सी एन जी की कहानी जानकारों की ज़ुबानी:

वैसे आपकी सेहत के लिये बता दूँ कि मेरी रूबरू वार्तालाप हुई देश के एक उच्च कोटि के जाने माने कैन्सर स्पेशियलिस्ट डा जी के रथ, अ भा आ वि (AIIMS) संस्थान मे कैन्सर अस्पताल के एच अो डी से जिन्होंने साफ कर दिया कि कैन्सर जैसी बीमारी के पनपने में सी एन जी भी अहम्  भूमिका अदा करता है …

सी एन जी का राग आलापने वाली सरकार की हकीकत:

सी एन जी स्टेशनों पर न खत्म होने वाली लम्बी कतारें ????

नम्बर आने तक 12 किलो के सिलिन्डर में मात्र 2 किलो गैस मिलता है ,..

वजह पूछने पर पता चलता है गैस न होने के कारण प्रेशर ही नहीं है…

लिहाज़ा आम आदमी के नेता के राज में आम आदमी की ही नाक में नकेल … ???

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